चंडीगढ़ के सरकारी आवास में पाया गया शव; प्रारंभिक जांच में आत्महत्या की संभावना जताई जा रही है
हरियाणा। 7 अक्टूबर 2025। नेशनल पॉजिटिव न्यूज़।
हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार (2001 बैच) को मंगलवार दोपहर उनके चंडीगढ़ स्थित सरकारी आवास (Sector-11) में मृत पाया गया। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार उनकी मृत्यु संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है और पुलिस ने प्रथम दृष्टया इसे आत्महत्या मानकर जांच शुरू कर दी है। घटनास्थल पर CFSL व फॉरेंसिक टीम पहुंच चुकी है।
क्या हुआ : घटनाक्रम (संक्षेप में)जानकारी के अनुसार, घर के भीतर उनकी निकट मौजूदगी में वे गंभीर हालत में पाए गए और घटनास्थल से संबंधित आयुध व सबूत बरामद किए गए हैं। इसके बाद मृतक का शव पोस्ट-मार्टम के लिए भेजा गया और संबंधित पुलिस अधिकारी व सदस्यों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। फिलहाल कोई लिखित नोट सार्वजनिक रूप से नहीं मिला है और जांच के कई पहलुओं को खंगाला जा रहा है।
अधिकारी की पृष्ठभूमि व हालिया नियुक्ति: वाई पूरन कुमार हरियाणा कैडर के 2001 बैच के अधिकारी थे। उन्होंने लम्बे समय तक विभिन्न पदों पर कार्य किया और हाल ही में उन्हें रोहतक रेंज (Police Training Centre, Sunaria) से संबंधित पद पर तैनात किया गया था; उनका तबादला 25 सितंबर 2025 को हुआ था। वे ADGP-रेन्क के अधिकारी माने जाते थे और उनकी सेवानिवृत्ति 2033 में निर्धारित है।
संदर्भ—विवाद और दबाव के संकेत (मीडिया रिपोर्टों के आधार पर) कुछ मीडिया रिपोर्ट यह भी बताती हैं कि कुमार पिछले समय से सीनियरिटी, पदोन्नति और वेतन/पदोन्नति से जुड़ी शिकायतों को लेकर असंतुष्ट रहे हैं और प्रशासनिक मसलों पर उन्होंने आवाज उठाई थी। हालांकि, इस बात का औपचारिक सत्यापन अभी जांच की ज़िम्मेदारी है और पुलिस जांच इस दिशा में भी विस्तार से पड़ताल कर रही है। इसलिए, किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले आधिकारिक जांच रिपोर्ट का इंतज़ार आवश्यक है।
आधिकारिक प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई : चंडीगढ़ पुलिस तथा हरियाणा पुलिस दोनों जांच में लगे हुए हैं; संबंधित अधिकारी मौके पर मौजूद हैं और परिवार, स्टाफ व पड़ोसियों के बयान लिए जा रहे हैं। साथ ही घटना-संबंधी सामग्री और कमरों का फॉरेंसिक परीक्षण कराया जा रहा है ताकि घटनाक्रम के हर पहलू को सत्यापित किया जा सके। पुलिस ने कहा है कि प्राथमिक निष्कर्षों के बाद ही स्थिति पर विस्तृत आधिकारिक बयान जारी किया जाएगा।
समाजिक-प्रभाव व प्रशासनिक चिंताएँ : इस तरह की घटनाएँ न केवल पुलिस बल के भीतर बल्कि प्रशासनिक संस्थाओं में भी चिंता उत्पन्न करती हैं। इसलिए आवश्यक है कि जांच पारदर्शी हो और साथ ही सरकारी विभाग मानसिक स्वास्थ्य-समर्थन तथा कार्यस्थल पर पीड़ाओं/विवादों को सुलझाने के लिए कदम उठाएँ। अभी के लिए, यह विषय मीडिया और नौकरशाही दोनों के लिए संवेदनशील बना हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि सभी सबूत और बयान तफ्तीश के बाद सार्वजनिक किए जाएँगे।







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