बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
मुज़फ्फरपुर, 28 अगस्त 2025
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुज़फ्फरपुर के उर्दू विभाग की ओर से गुरुवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विषय था – “क़मर आज़म हाश्मी: शास्त्रीय विरासत और समकालीन संवेदनशीलता का संक्षेपण।”

कुलपति ने किया उद्घाटन
उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो. (डॉ.) दिनेश चंद्र राय ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने प्रो. क़मर आज़म हाशमी की विद्वत्ता और सेवाओं को याद करते हुए कहा कि “गुरु का सम्मान करने से ही ज्ञान के द्वार खुलते हैं। क़मर आज़म हाशमी जैसे गुरु हमारे आदर्श होने चाहिए।”
कार्यक्रम की शुरुआत और सांस्कृतिक प्रस्तुति
संगोष्ठी की शुरुआत छात्र ग़ुलाम ग़ौस की तिलावत-ए-क़ुरआन पाक से हुई। इसके बाद ज़ैनब यासमीन, शबिस्तां परवीन, शबाना परवीन, ज़रीना परवीन और नूर सलीमा ने विश्वविद्यालय कुलगीत प्रस्तुत किया। वहीं साश्वत श्याम और अभिषेक कुमार ने तबला और हारमोनियम पर संगीत से कार्यक्रम को गरिमामय बनाया।

स्वागत भाषण और कुलपति की सराहना
स्वागत भाषण विभागाध्यक्ष प्रो. सैयद आले ज़फर ने दिया। उन्होंने कहा कि कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय के नेतृत्व में विश्वविद्यालय प्रगति की राह पर अग्रसर है। हाल ही में सम्पन्न दीक्षांत समारोह और विश्वविद्यालय को NAAC मूल्यांकन कराने की पहल इसका उदाहरण है।
मुख्य वक्तव्य और अध्यक्षीय भाषण:
मुख्य वक्ता प्रो. रईस अनवर (पूर्व विभागाध्यक्ष, उर्दू विभाग, एल.एन. मिथिला विश्वविद्यालय) ने प्रो. हाशमी को “उर्दू का महान सिपहसालार” बताया। अध्यक्षीय भाषण प्रो. फारूक़ अहमद सिद्दीकी (पूर्व विभागाध्यक्ष, उर्दू, बी.आर.ए.बी.यू.) ने दिया। उन्होंने कहा कि “प्रो. क़मर अज़म हाशमी ने अध्यापन को हमेशा अपना लक्ष्य और इबादत माना।”
शोध-पत्र और तकनीकी सत्र :
पहले तकनीकी सत्र में ज़ैनब यासमीन, प्रो. अबू मुनव्वर ग़िलानी, प्रो. सैयद हसन अब्बास और डॉ. ज़ैन रामिश ने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। अध्यक्षता फ़ख़रुद्दीन आरिफ़ी और प्रो. रईस अनवर ने की। दूसरे सत्र में अज़रा नसीम, डॉ. मुबश्शिरा सदफ़, कामरान ग़नी सबा, डॉ. हसन रज़ा, प्रो. मजहर किबरिया और फ़ख़रुद्दीन आरिफ़ी ने अपने शोध-पत्र रखे।
समापन सत्र
समापन सत्र में डॉ. मो. अमानुल्लाह, प्रो. सैयद हसन अब्बास और डॉ. एस.एम. रिज़वानुल्लाह नदीम ने संबोधित किया। उन्होंने संगोष्ठी की सफलता पर बधाई दी और प्रो. हाशमी की शैक्षणिक व साहित्यिक सेवाओं को अमूल्य बताया।
धन्यवाद और उपस्थिति
अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. सैयद आले ज़फर ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद अदा किया। संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के कई प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी और उर्दू प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।







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