
अंतिम समय में रेलमंत्री का काफ़िला बेगूसराय स्टेशन से मूंह चिढ़ाते हुये गुजर गया और बेगूसराय स्टेशन पर नहीं रुका। बूके, माला और मांग-पत्र, सारी तैयारियां धरी की धरी रह गई।
बेगूसराय। 23 मई 2025
लोगों को सुचना मिली थी कि शुक्रवार को पटना से बा रास्ता बेगूसराय, मुंगेर, जमालपुर जाने के दौरान बेगूसराय रेलवे स्टेशन पर, कुछ देर के लिए केंद्रीय रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव का ठहराव होगा। इस सुचना से लोग काफी उत्साहित थे। कल रात से ही स्टेशन की विशेष साफ सफाई शुरु हो गई थी और वरीय अधिकारियों ने डेरा डालना शुरु कर दिया था। शुक्रवार कि सुबह भी काफी संख्या में जिले के पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी और संघ- संगठन के लोग स्टेशन परिसर में रेलमंत्री का स्वागत करने और बेगूसराय की व्यथा बताने के साथ-साथ, अपनी मांगों को रखने हेतु प्रतीक्षारत थे।

लेकिन हुआ वहीं, जिसकी आशंका थी। बेगूसराय के प्रति उपेक्षापूर्ण और पक्षपातपूर्ण नीति रखनेवाले अधिकारियों की ही चली। अंतिम समय में रेलमंत्री का काफ़िला बेगूसराय स्टेशन से मूंह चिढ़ाते हुये गुजर गया और बेगूसराय स्टेशन पर नहीं रुका। बूके, माला और मांग-पत्र, सारी तैयारियां धरी की धरी रह गई। चाहे वह “वर्ल्ड क्लास स्टेशन प्रोजेक्ट” का मामला हो, ट्रेनों के ठहराव का मसला हो, बरौनी- हसनपुर नई रेललाइन का मामला हो, नई ट्रेनों की मांग का मुद्दा हो, या फिर मानक यात्री सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का मामला। सारी उम्मीदों और अरमानों पर पानी फिर गया। रेलमंत्री के बेगूसराय नहीं रुकने से पूमरे दैनिक रेल यात्री संघ, बेगूसराय के संस्थापक सह महासचिव राजीव कुमार ने अपनी नाराजगी व्यक्त कि है। उन्होंने कहा कि रेलमंत्री का बेगूसराय में रुकने की जानकारी मिलने के बावजूद, किसी जनप्रतिनिधि ने स्टेशन पहुंचने की जरूरत नहीं महसूस की। बेगूसराय रेलवे स्टेशन व जिले में रेल सुविधाओं के विकास के मुद्दे पर सभी मौन हैं। उन्होंने कहा कि बेगूसराय रेलवे स्टेशन पर लंबी दूरी की तथा राज्य के अंदर व आसपास के विभिन्न शहरों तथा महानगरों के लिए उपयुक्त सुविधाजनक और पर्याप्त रेल सेवा का घोर अभाव है। जिस कारण बेगूसराय के लोगों को प्रतिदिन मजबूर होकर टाटा, टेम्पो, ट्रेकर में खतरनाक तरीके से ठूंसकर, लटक कर, लदकर हाथीदह, मोकामा, बरौनी, पटना जाकर ट्रेन पकड़ने हेतू रोजाना मजबूर होना पङ रहा है। यह मजबूरी अक्सर उन्हें बेइज्जती और जिल्लत झेलने को भी विवश करता रहता है।