बेगूसराय। 31 जुलाई 2025
हिंदी साहित्य के महान कथाकार एवं यथार्थवादी लेखन के पुरोधा मुंशी प्रेमचंद की 145 वीं जयंती के उपलक्ष्य में चित्रांश मंच द्वारा चित्रगुप्त सामुदायिक भवन, बड़ी पोखर में एक गरिमामय साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुंशी प्रेमचंद के चित्र पर माल्यार्पण किया गया।

इसके बाद वक्ताओं ने प्रेमचंद जी के साहित्यिक योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम में उपमेयर अनीता राय ने कहा कि गोदान, गबन, कर्मभूमि, निर्मला जैसी रचनाएं आज भी समाज को आईना दिखाती हैं और उनकी प्रासंगिकता बनी हुई है। हम बचपन में ही इस कहानी हो पढ़े थे, पर आज के बच्चों को ऐसे महान कथाकार को भूलते जा रहे है। लेकिन ऐसे जयंती समारोह में बच्चे भाग लेकर अपने पुरुखों के बारे जान सकते है।

सरस्वती संस्कृत उच्च विद्यालय के शिक्षक शिवम कुमार ने कहा कि प्रेमचंद अपने जन्म के 145 वर्ष के बाद भी प्रासंगिक हैं यही उनकी विद्वता का प्रमाण है। प्रेमचंद ने 20वीं सदी के सबसे प्रमुख भारतीय लेखकों में से एक के रूप में उर्दू में अपना करियर शुरू किया। बाद में हिंदी के प्रति उनका रुझान बढ़ा। हिंदी ने उन्हें व्यापक पाठक वर्ग प्रदान किया। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में महात्मा गांधी से प्रेरित होकर सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर असहयोग आंदोलन में कूद पड़े। हमें इनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। कितनी मुफलिसी और दिक्कत के बावजूद ये महान कथाकार बने।

अन्य वक्ताओं ने इनकी रचना बड़े भाई साहब, पंच परमेश्वर, गोदान आदि की चर्चा कर इसे सर्वश्रेष्ठ रचना बताया। कहा कि “मुंशी प्रेमचंद केवल एक साहित्यकार नहीं, बल्कि भारतीय समाज की आत्मा के द्रष्टा थे। उनका लेखन आज भी सामाजिक बदलाव के लिए प्रेरणा का स्रोत है।”मौके पर अधिवक्ता समीर शेखर, निगम पार्षद उमेश राय, अधिवक्ता प्रमोद मनुवंश, समाजसेवी दिलीप सिन्हा, संजीव कुमार सिन्हा, राजीव कुमार, जितेंद्र कुमार, संजीत श्रीवास्तव, शिक्षिका पूनम ठाकुर, रानी कुमारी, नयन कुमारी, कविता कुमारी, कृतिका कुमारी, अमन वर्मा, राम पुकार पटेल व काफी संख्या में छात्र छात्रा शामिल थे।कार्यक्रम के शुरू में चित्रांश मंच के संस्थापक संजीत श्रीवास्तव ने मुंशी प्रेमचंद की जीवनी पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अंत में चित्रांश मंच के संजीव कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।







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