नेशनल पॉजिटिव न्यूज़। ब्रेकिंग / 22 नवंबर 2025
बेगूसराय। केंद्र सरकार द्वारा चार श्रम कानूनों को अधिसूचित किए जाने के बाद देशभर में श्रमिक संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। इसी क्रम में बी एस एस आर यूनियन ने भी सरकार के इस फैसले की तीखी आलोचना करते हुए इसे “पूरी तरह श्रम-विरोधी और मालिक-पक्षीय” करार दिया है। यूनियन ने बयान जारी कर मांग की है कि सरकार इन श्रम कोड्स को तत्काल वापस ले।
पुराने आवश्यक कानून निरस्त किए जाने पर आपत्ति: यूनियन ने कहा कि नए कोड लागू करते समय सरकार ने कई महत्त्वपूर्ण पुराने श्रम कानूनों को बिना स्पष्ट कारण निरस्त कर दिया है। इनमें सेल्स प्रमोशन एम्प्लॉइज एक्ट 1976 जैसे आवश्यक कानून भी शामिल हैं, जो वर्षों से कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करते रहे हैं।
काम के घंटे 8 से बढ़कर 12 होने का आरोप: यूनियन के मुताबिक नई व्यवस्था के चलते काम के घंटे स्वतः ही 8 घंटे से बढ़कर 12 घंटे हो जाएंगे, जिसे कोई भी मजदूर मना नहीं कर सकेगा। संगठन ने कहा कि यह प्रावधान अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के चार्टर का उल्लंघन है, जिसमें 8 घंटे काम, 8 घंटे आराम और 8 घंटे व्यक्तिगत कार्यों के लिए निर्धारित हैं।
न्यूनतम मजदूरी की दोहरी व्यवस्था पर सवाल: नए श्रम कोड्स के लागू होने के बाद देश में दो तरह की न्यूनतम मजदूरी तय हो सकती है, जिससे मजदूरों में असमानता और शोषण की स्थिति बढ़ सकती है।
ट्रेड यूनियन पंजीकरण लगभग असंभव: संगठनबीएसएसआर यूनियन के आर. एस. रॉय, संयुक्त महामंत्री ने कहा कि नए श्रम कोड्स के कारण किसी भी संगठन के लिए ट्रेड यूनियन पंजीकरण कराना लगभग असंभव हो जाएगा। इससे देश में ट्रेड यूनियनों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है।
हड़ताल के अधिकार को खत्म करने का आरोप : यूनियन ने आरोप लगाया कि नए कोड्स में हड़ताल के अधिकार को लगभग समाप्त कर दिया गया है, जबकि हड़ताल मजदूरों के लिए अपनी मांगें रखने का अंतिम और सबसे महत्त्वपूर्ण विकल्प होता है।
सामाजिक सुरक्षा पर मंडराया खतरा : संगठन ने कहा कि कोड्स लागू होने के बाद सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था नाम मात्र की रह जाएगी। जब मूल नियोक्ता की जगह फ्रेंचाइजी और ठेकेदारी व्यवस्था का बोलबाला होगा, तब ग्रेच्युटी, पीएफ, ईएसआई जैसी सुविधाएँ स्वतः ही कमजोर पड़ जाएँगी।
संगठन ने आंदोलन की रूपरेखा दी : बीएसएसआर यूनियन ने श्रम कोड्स वापस लेने की मांग करते हुए आगामी कार्यक्रम घोषित किए👉 सोमवार और मंगलवार: सभी सदस्य काला बिल्ला लगाकर विरोध दर्ज कराएंगे। 👉 24 नवंबर: स्थानीय समाहर्ता के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय को मांग पत्र भेजा जाएगा। 👉 26 नवंबर: विभिन्न ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों के साथ संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन, जो समाहर्ता कार्यालय के सामने आयोजित होगा।






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