
AzadHindFauj की वीरांगना लेफ्टिनेंट 17 साल की उम्र में रानी झाँसी रेजिमेंट में हुईं शामिल,
नेताजी के साथ वर्मा से असम सीमा तक लड़ी थीं लड़ाई
पटना/भागलपुर, 13 अगस्त 2025
Azad Hind Fauj की वीरांगना और नेताजी Subhas Chandra Bose की सेनानी लेफ्टिनेंट आशा सहाय उर्फ भारती चौधरी का निधन 12 अगस्त 2025 की मध्यरात्रि को पटना में हो गया।
वे 97 वर्ष की थीं और लंबे समय से अस्वस्थ चल रही थीं।
2 फरवरी 1928 को जापान के कोबे में जन्मी भारती चौधरी, भागलपुर के नाथनगर, पुरानीसराय की मूल निवासी थीं।
उनके पिता आनंद मोहन सहाय, आजाद हिंद सरकार के मंत्रिमंडल में मंत्री और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक सलाहकार थे।
पिता की प्रेरणा से मात्र 17 वर्ष की उम्र में उन्होंने स्कूली शिक्षा छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में कदम रखा और आजाद हिंद फौज की रानी झाँसी रेजिमेंट में शामिल हो गईं।

नेताजी के नेतृत्व में उनकी टुकड़ी ब्रिटिश सेना से लड़ते हुए वर्मा (अब म्यांमार) तक पहुँची,
लेकिन असम सीमा के पास आई बाढ़ और भीषण बमबारी के कारण आगे बढ़ना संभव नहीं हो सका।
नेताजी की रहस्यमयी मृत्यु के बाद आजाद हिंद फौज और निर्वासित सरकार का विघटन हो गया।
भारती चौधरी ने अपने संघर्ष, युद्ध के अनुभव और नेताजी के साथ बिताए पलों को अपनी आत्मकथा “The War Diary of Asha San” में दर्ज किया।


द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान में पली-बढ़ी इस सेनानी की पहनाई हुई वर्दी आज भी दिल्ली स्थित लाल किला संग्रहालय में सुरक्षित है।
अंतिम समय में वे पटना के नमन आश्रय अपार्टमेंट में अपने पुत्र संजय चौधरी और बहू रत्ना के साथ रह रही थीं।
उनके निधन से स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की एक जीवंत कड़ी हमेशा के लिए टूट गई
🇮🇳 श्रद्धांजलि एक वीरांगना को 🇮🇳
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आजाद हिंद फौज की लेफ्टिनेंट आशा सहाय उर्फ भारती चौधरी का 97 वर्ष की उम्र में पटना में निधन।
📅 2 फरवरी 1928 को जापान में जन्म
🎖 17 साल की उम्र में रानी झाँसी रेजिमेंट में शामिल
⚔ नेताजी के साथ वर्मा से असम सीमा तक लड़ीं आज़ादी की लड़ाई
📖 आत्मकथा: The War Diary of Asha San
🏛 उनकी वर्दी आज भी लाल किला संग्रहालय में सुरक्षित
एक युग का अंत… 🙏
