नेशनल पॉजिटिव न्यूज़। जमुई | 25 नवंबर 2025। जिला डेस्क – निरंजन कुमार
जमुई। वन्यजीव संरक्षण के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण गिद्धों की तेजी से विलुप्त होती प्रजाति अब पर्यावरण के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। गिद्ध, भले ही आम लोगों की नजर में “बदसूरत चिड़िया” हों, लेकिन सड़े-गले शवों को खाकर ये प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। पिछले एक दशक में भारत, नेपाल और पाकिस्तान में इनकी संख्या 95% तक घट चुकी है, जिससे ईको सिस्टम पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

गिद्धों में इस भारी कमी का मुख्य कारण है—जहरीले मांस का सेवन, पशुओं को दी जाने वाली खतरनाक दवाइयाँ, शिकार, करंट लगना, तथा बिजली के तारों पर बैठने से मृत्यु। वैश्विक स्तर पर भी यही रुझान देखने को मिल रहा है और अफ्रीका में इनकी संख्या लगातार गिरती जा रही है।

🔍 गिद्ध क्यों हैं इतने जरूरी?: साइमन थॉमसेट जैसे अंतरराष्ट्रीय संरक्षण विशेषज्ञ बताते हैं कि—गिद्ध बीमारियों को फैलने से रोकते हैं। ये मृत पशुओं के मांस का बड़ा हिस्सा खाते हैं, जिससे कुत्तों व दूसरे मृत–भक्षी जीवों की संख्या नियंत्रित रहती है। इनके पेट का अम्ल इतना शक्तिशाली होता है कि हैजा और एंथ्रेक्स जैसे खतरनाक जीवाणुओं को भी नष्ट कर देता है। दुनिया का सबसे ऊँचा उड़ने वाला पक्षी गिद्ध ही है—37,000 फीट तक उड़ान का रिकॉर्ड दर्ज है। गिद्ध लंबे सफर तय करते हैं और कई बार सूडान–इथियोपिया या केन्या–तंजानिया जैसे देशों की सीमाएँ पार करते देखे गए हैं। यही कारण है कि इनका संरक्षण न केवल भारत बल्कि वैश्विक पर्यावरण संतुलन के लिए जरूरी है।
🌿 जमुई वन विभाग की पहल — नागी पक्षी अभयारण्य में संरक्षण केंद्र का प्रस्ताव: जमुई वन प्रमंडल के डीएफओ तेजस जायसवाल ने गिद्धों की गंभीर स्थिति को देखते हुए सरकार को पत्र लिखकर नागी पक्षी आश्रयणी में वल्चर संरक्षण केंद्र खोलने के लिए सर्वे और वैज्ञानिक अध्ययन शुरू करने का आग्रह किया है।
डीएफओ ने बताया:अभी तक इस प्रस्ताव पर सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया है। न विचार-विमर्श शुरू हुआ है, न स्वीकृति मिली है। लेकिन गिद्धों के संरक्षण केंद्र की तत्काल आवश्यकता है। सरकार की मंजूरी मिलते ही इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
🌏 क्यों जरूरी है यह केंद्र? : जमुई व आसपास के क्षेत्रों में गिद्धों की संख्या लगातार गिर रही है। नागी पक्षी आश्रयणी प्राकृतिक रूप से इनके लिए उपयुक्त स्थल है। संरक्षण केंद्र बनने से निगरानी, उपचार, प्रजनन और सुरक्षा बेहतर ढंग से हो सकेगी।
🔴 निष्कर्ष: गिद्ध केवल पक्षी नहीं, बल्कि प्रकृति के “स्वच्छता कर्मी” हैं। इनके बिना ईको सिस्टम पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जमुई वन विभाग की पहल से उम्मीद जगी है कि सरकार इस प्रस्ताव पर जल्द सकारात्मक निर्णय लेगी और इन विलुप्तप्राय पक्षियों के संरक्षण की दिशा में नई शुरुआत होगी।






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